परिचय
हिन्दुओं के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का निवास स्थल है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है। गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे बसा यह तीर्थस्थल हिमालय में समुद्र तल से 3,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।
Introduction
Badrinath Dham, one of the four dhams of Hindus, is the abode of Lord Vishnu. It is situated on the left bank of the Alaknanda River in the state of Uttarakhand, India, between two mountain ranges called Nar and Narayan. Situated on the banks of the main river Ganges, this shrine is located in the Himalayas at an altitude of 3,050 meters above sea level.
इतिहास
बद्रीनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व अपने पौराणिक वैभव और ऐतिहासिक मूल्य से जुड़ा हुआ है। बद्रीनाथ के मंदिर में अपनी उम्र का समर्थन करने के लिए कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, लेकिन बद्रीनाथ मंदिर का उल्लेख जरुर मिला है। साथ ही यह हमारे प्राचीन वैदिक शास्त्र के देवता, जो इंगित करते है, कि मंदिर वैदिक काल के दौरान वहां था।
History
The religious significance of the Badrinath temple is associated with its mythological splendor and historical value. There is no concrete historical evidence to support his age in the Badrinath temple, but the Badrinath temple is definitely mentioned. Also it is the deity of our ancient Vedic scripture, which indicates that the temple was there during the Vedic period.
नामकरण
इसकी एक कथा प्रचलित है। एक बार मुनि नारद भगवान् विष्णु के दर्शन हेतु क्षीरसागर पधारे। यहां उन्होंने माता लक्ष्मी को देखा कि वो श्री हरि के पैर दबा रही थीं। नारद जी ने भगवान विष्णु से इस बारे में पूछा तो वो अपराधबोध से ग्रसित होकर तपस्या करने के लिए हिमालय चले गए। जब श्री हरि योगध्यान मुद्रा में तपस्या में लीन थे तब वहां बहुत बर्फ गिरने लगी। इस हिमपात में विष्णु जी डूब चुके थे। उनकी यह हालत देख मां लक्ष्मी परेशान हो गईं और उन्होंने स्वयं भगवान विष्णु के पास जाकर बद्री वृक्ष का रूप धारण कर लिया। हिमपात उनपर गिरने लगा और वो सहती रहीं। भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और हिम से बचाने के लिए मां लक्ष्मी ने कठोर तपस्या की। कई वर्षों तक श्री हरि ने तपस्या की और जब उनका तप खत्म हुआ तब उन्होंने देखा कि लक्ष्मीजी हिम से ढकी पड़ी हैं। तब श्री हरि ने कहा कि हे देवी! तुमने भी मेरे ही बराबर तप किया है। आज से इस धाम में मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जाएगा। तुमने मेरी रक्षा बद्री वृक्ष के रूप में की है ऐसे में आज से मुझे बद्री के नाथ-बद्रीनाथ के नाम से जाना जाएगा।
Naming
There is a legend of this. Once Muni Narada came to Kshirsagar to see Lord Vishnu. Here she saw Mata Lakshmi that she was pressing Sri Hari's feet. Narada Ji asked Lord Vishnu about this, and after suffering from guilt, he went to the Himalayas to do penance. When Sri Hari was engaged in austerities in Yogadhyana posture, then a lot of snow started falling there. Vishnu was drowned in this snow. Mother Lakshmi got upset seeing this condition of her and she herself went to Lord Vishnu and took the form of Badri tree. Snow started falling on her and she was able to bear it. Maa Lakshmi performed austerities to protect Lord Vishnu from sun, rain and snow. Sri Hari did penance for many years and when his penance ended, he saw that Lakshmiji was covered with snow. Then Shri Hari said, O Goddess! You too have meditated like me. From today I will be worshiped with you in this Dham. You have protected me as a Badri tree, in such a situation, from today I will be known as Badri's Nath-Badrinath.
6 महीने तक जलता है दिया
भगवान विष्णु के बद्रीनाथ धाम में एक मीटर ऊंची काले पत्थर (शालिग्राम) की प्रतिमा है, जिसमें भगवान विष्णु ध्यान मुद्रा में सुशोभित है। यह मंदिर तीन भागों गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभा मंडप में बंटा हुआ है। मंदिर परिसर में अलग-अलग देवी-देवताओं की 15 मूर्तियां विराजमान हैं। अक्षय तृतीया पर बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं, उस समय भी मंदिर में एक दीपक जलता रहता है, इस दीपक के दर्शन का बड़ा महत्त्व है। मान्यता है कि 6 महीने तक बंद दरवाजे के अंदर इस दीप को देवता जलाए रखते हैं।
The Diya burns for six months
Badrinath Dham of Lord Vishnu has a meter-high black stone (Shaligram) statue, in which Lord Vishnu is beautified in meditation posture. The temple is divided into three parts, the sanctum sanctorum, the darshanamandapa and the sabha mandapa. There are 15 idols of different deities in the temple complex. The doors of Badrinath open on Akshaya Tritiya, even at that time a lamp keeps burning in the temple, this lamp has a great importance to its philosophy. It is believed that the deity keeps this lamp lit inside a closed door for 6 months.
मंदिर कब खुलता है?
बदरीनाथ क्षेत्र के उर्गम घाटी में स्थित श्री वंशी नारायण मंदिर साल के 364 दिन बंद रहता है और राखी के त्योहार पर ही इस मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। इस मंदिर के कपाट रक्षाबंधन के दिन सुबह से ही दर्शन के लिए खुल जाएंगे। इस मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना शाम को सूरज ढलने से पहले तक की जाती है।
When does the temple open?
Sri Vanshi Narayan Temple, located in the Urgam valley of Badrinath region, is closed for 364 days a year and the doors of the temple are opened to devotees on the festival of Rakhi. The doors of this temple will open for darshan on the day of Rakshabandhan. In this temple, the Lord is worshiped before the sun sets in the evening.
मंदिर एक दिन खुलने के पीछे प्रचलित कथा
- मनुष्यों को इस मंदिर में एक दिन पूजा करने का अधिकार देने के पीछे भी पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार एक बार राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वह उनके द्वारपाल बने। भगवान विष्णु ने राजा बलि के इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और वह राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए।
- भगवान विष्णु के कई दिनों तक दर्शन न होने कारण माता लक्ष्मी अत्यंत चिंतित हो गईं और नारद मुनि के पास गईं। नारद मुनि से माता लक्ष्मी से पूछा कि भगवान विष्णु कहां पर है? जिसके बाद नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को बताया कि वह पाताल लोक में हैं और राजा बलि के द्वारपाल बने रहे।
- नारद मुनि ने माता लक्ष्मी से कहा कि विष्णु भगवान को राजा बलि से वापस पाने के लिए आप आप श्रावण मास की पूर्णिमा को पाताल लोक में जाएं और राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांध दें। रक्षासूत्र बांधने के बाद राजा बलि से वापस नारायण को वापस मांग लें।
- माता लक्ष्मी को पाताल लोक का रास्ता नहीं पता था, इसलिए नारदमुनि लक्ष्मी के आग्रह पर उनके साथ पाताल लोक चले गए। जिसके बाद नारद मुनि की अनुपस्थिति में कलगोठ गांव के पुजारी ने वंशी नारायण भगवान की पूजा की तब से ही यह परंपरा चली आ रही है।
- There is also a legend behind giving humans the right to worship in this temple one day. According to this legend, King Bali once requested Lord Vishnu to be his gatekeeper. Lord Vishnu accepted this request of King Bali and went to Hades with King Bali.
- Mata Lakshmi became extremely worried and went to Narada Muni due to Lord Vishnu not having a vision for several days. Narada Muni asked Mata Lakshmi, where is Lord Vishnu? After which Narada Muni told Mata Lakshmi that he is in Hades and remained the gatekeeper of King Bali.
- Narada Muni told Mata Lakshmi that in order to get Vishnu God back from King Bali, you should go to Patal Lok on the full moon day of Shravan month and tie a raksasutra on the wrist of King Bali. After tying Rakshasutra, ask King Bali to return Narayan back.
- Mata Lakshmi did not know the path of Hades, so Naradamuni went to Hades with her at the insistence of Lakshmi. After this, in the absence of Narada Muni, the priest of Kalgoth village worshiped Vanshi Narayan God, this tradition has been going on since then.
निर्माण
नर-नारायण पर्वत के मध्य में विराजमान बदरीशपुरी को भगवान विष्णु का धाम माना गया है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि 'बहुनि शंति तीर्थानी दिव्य भूमि रसातले, बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यति:' अर्थात् स्वर्ग और धरती पर असंख्य तीर्थ हैं, लेकिन बदरीनाथ सरीखा तीर्थ न कोई था, न है और न होगा ही। गंगाजी ने जब स्वर्ग से धरती के लिए प्रस्थान किया तो उसका वेग इतना तेज़ था कि संपूर्ण मानवता खतरे में पड़ जाती। इसलिए गंगाजी बारह पवित्र धाराओं में बंट गई। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बदरीनाथ धाम स्थित है। समुद्रतल से 3133 मीटर (10276 फीट) की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।
Construction
Badrishapuri, sitting in the middle of the Nar-Narayan mountain, is considered to be the abode of Lord Vishnu. It is mentioned in the scriptures that 'Bahuni Shanti Tirthani is the divine land, Rastale, Badri Sadhuch Tirtha nor Bhooto Bhavishti:' That means there are innumerable pilgrimages in heaven and on earth, but there was no, nor will there be a pilgrimage like Badrinath. When Gangaji departed from heaven to earth, his velocity was so fast that the whole of humanity would be in danger. Hence Ganga was divided into twelve holy streams. One of them is Alaknanda, on whose banks Badrinath Dham is situated. Situated in the Chamoli district at an elevation of 3133 meters (10276ft) above sea level, this temple was built by Adya Guru Shankaracharya in the eighth century.
बदरीनाथ यात्रा मार्ग
बदरीनाथ धाम की यात्रा ऋषिकेश से शुरू होती है। यात्री को इस मार्ग पर सर्वप्रथम पंच प्रयागों में श्रेष्ठ देवप्रयाग और यहां स्थित पौराणिक एवं ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर के दर्शन होते हैं। यहां से आगे यात्री श्रीनगर में कमलेश्र्वर महादेव, कलियासौड़ में सिद्धपीठ धारी देवी, रुद्रप्रयाग में अलकनंदा व मंदाकिनी नदी के संगम, कर्णप्रयाग में अलकनंदा व पिंडर नदी के संगम, नंदप्रयाग में अलकनंदा व नंदाकिनी नदी के संगम, जोशीमठ में भगवान नृसिंह बदरी, शंकराचार्य व त्रिकुटाचार्य की गुफा, विष्णुप्रयाग में अलकनंदा व धौली गंगा के संगम और पांडुकेश्र्वर में योग-ध्यान बदरी व कुबेरजी के दर्शन कर सकते हैं। बदरीनाथ धाम से तीन किमी. आगे देश का अंतिम गांव माणा पड़ता है। इसके आसपास यात्री व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मंदिर, भीम पुल, वसुधारा आदि के दर्शन कर सकते हैं।
अलकनंदा नदी |
Badrinath Travel Route
The journey to Badrinath Dham starts from Rishikesh. On this route, the traveler first sees the best Devprayag in Panch Prayag and the mythological and historical Raghunath Temple located here. From here onwards, travelers Kamleshwar Mahadev in Srinagar, Siddhpeeth Dhari Devi in Kaliyasaud, confluence of Alaknanda and Mandakini river in Rudraprayag, confluence of Alaknanda and Pinder river in Karnaprayag, confluence of Alaknanda and Nandakini river in Nandprayag, Lord Narasimha Badri and Shankara in Joshimath One can visit the cave of Trikutacharya, the confluence of the Alaknanda and Dhauli Ganga in Vishnuprayag and Yoga-Meditation Badri and Kuberaji at Pandukeshwar. Three km from Badrinath Dham. Further, the last village of the country falls Mana. Travelers can visit Vyas cave, Ganesh cave, Saraswati temple, Bhima bridge, Vasudhara, etc. around it.
दार्शनिक स्थल
समय की पर्याप्त उपलब्धता होने पर आप आदि बदरी (कर्णप्रयाग), भविष्य बदरी (सुभाई गांव जोशीमठ), ध्यान बदरी (उर्गम घाटी), वृद्ध बदरी (अणीमठ-जोशीमठ), मध्यमेश्र्वर (रुद्रप्रयाग), तुंगनाथ (रुद्रप्रयाग), रुद्रनाथ (चमोली), कल्पेश्र्वर (चमोली), पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्र्वर मंदिर (ऊखीमठ) जैसे पौराणिक तीथरें के दर्शन भी कर सकते हैं। हालांकि, इनमें से ज्यादातर तीर्थ उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण अति दुर्गम हैं।
Philosophical site
You have Adi Badri (Karanprayag), Bhavishya Badri (Subhai village Joshimath), Dhyan Badri (Urgam Valley), Vridha Badri (Animath-Joshimath), Madhyameshwar (Rudraprayag), Tungnath (Rudraprayag), Rudranath (Chamoli) with adequate availability of time. , Kalpeshwar (Chamoli), Panchgaddi site Omkareshwar Temple (Ukhimath) can also be visited by mythological arrows. However, most of these shrines are inaccessible due to being in the higher Himalayan region.
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