Thursday, January 14, 2021

The Badrinath Temple

परिचय

 हिन्दुओं के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का निवास स्थल है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर नर और नारायण नामक दो पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है। गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे बसा यह तीर्थस्थल हिमालय में समुद्र तल से 3,050 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।








Introduction

Badrinath Dham, one of the four dhams of Hindus, is the abode of Lord Vishnu. It is situated on the left bank of the Alaknanda River in the state of Uttarakhand, India, between two mountain ranges called Nar and Narayan. Situated on the banks of the main river Ganges, this shrine is located in the Himalayas at an altitude of 3,050 meters above sea level.

इतिहास

बद्रीनाथ मंदिर का धार्मिक महत्व अपने पौराणिक वैभव और ऐतिहासिक मूल्य से जुड़ा हुआ है। बद्रीनाथ के मंदिर में अपनी उम्र का समर्थन करने के लिए कोई ठोस ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, लेकिन बद्रीनाथ मंदिर का उल्लेख जरुर मिला है। साथ ही यह हमारे प्राचीन वैदिक शास्त्र के देवता, जो इंगित करते है, कि मंदिर वैदिक काल के दौरान वहां था।

History

The religious significance of the Badrinath temple is associated with its mythological splendor and historical value. There is no concrete historical evidence to support his age in the Badrinath temple, but the Badrinath temple is definitely mentioned. Also it is the deity of our ancient Vedic scripture, which indicates that the temple was there during the Vedic period.

नामकरण

इसकी एक कथा प्रचलित है। एक बार मुनि नारद भगवान् विष्णु के दर्शन हेतु क्षीरसागर पधारे। यहां उन्होंने माता लक्ष्मी को देखा कि वो श्री हरि के पैर दबा रही थीं। नारद जी ने भगवान विष्णु से इस बारे में पूछा तो वो अपराधबोध से ग्रसित होकर तपस्या करने के लिए हिमालय चले गए। जब श्री हरि योगध्यान मुद्रा में तपस्या में लीन थे तब वहां बहुत बर्फ गिरने लगी। इस हिमपात में विष्णु जी डूब चुके थे। उनकी यह हालत देख मां लक्ष्मी परेशान हो गईं और उन्होंने स्वयं भगवान विष्णु के पास जाकर बद्री वृक्ष का रूप धारण कर लिया। हिमपात उनपर गिरने लगा और वो सहती रहीं। भगवान विष्णु को धूप, वर्षा और हिम से बचाने के लिए मां लक्ष्मी ने कठोर तपस्या की। कई वर्षों तक श्री हरि ने तपस्या की और जब उनका तप खत्म हुआ तब उन्होंने देखा कि लक्ष्मीजी हिम से ढकी पड़ी हैं। तब श्री हरि ने कहा कि हे देवी! तुमने भी मेरे ही बराबर तप किया है। आज से इस धाम में मुझे तुम्हारे ही साथ पूजा जाएगा। तुमने मेरी रक्षा बद्री वृक्ष के रूप में की है ऐसे में आज से मुझे बद्री के नाथ-बद्रीनाथ के नाम से जाना जाएगा। 

Naming

There is a legend of this. Once Muni Narada came to Kshirsagar to see Lord Vishnu. Here she saw Mata Lakshmi that she was pressing Sri Hari's feet. Narada Ji asked Lord Vishnu about this, and after suffering from guilt, he went to the Himalayas to do penance. When Sri Hari was engaged in austerities in Yogadhyana posture, then a lot of snow started falling there. Vishnu was drowned in this snow. Mother Lakshmi got upset seeing this condition of her and she herself went to Lord Vishnu and took the form of Badri tree. Snow started falling on her and she was able to bear it. Maa Lakshmi performed austerities to protect Lord Vishnu from sun, rain and snow. Sri Hari did penance for many years and when his penance ended, he saw that Lakshmiji was covered with snow. Then Shri Hari said, O Goddess! You too have meditated like me. From today I will be worshiped with you in this Dham. You have protected me as a Badri tree, in such a situation, from today I will be known as Badri's Nath-Badrinath.

 6 महीने तक जलता है दिया

भगवान विष्णु के बद्रीनाथ धाम में एक मीटर ऊंची काले पत्थर (शालिग्राम) की प्रतिमा है, जिसमें भगवान विष्णु ध्यान मुद्रा में सुशोभित है। यह मंदिर तीन भागों गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभा मंडप में बंटा हुआ है। मंदिर परिसर में अलग-अलग देवी-देवताओं की 15 मूर्तियां विराजमान हैं। अक्षय तृतीया पर बद्रीनाथ के कपाट खुलते हैं, उस समय भी मंदिर में एक दीपक जलता रहता है, इस दीपक के दर्शन का बड़ा महत्त्व है। मान्यता है कि 6 महीने तक बंद दरवाजे के अंदर इस दीप को देवता जलाए रखते हैं।

The Diya burns for six months

Badrinath Dham of Lord Vishnu has a meter-high black stone (Shaligram) statue, in which Lord Vishnu is beautified in meditation posture. The temple is divided into three parts, the sanctum sanctorum, the darshanamandapa and the sabha mandapa. There are 15 idols of different deities in the temple complex. The doors of Badrinath open on Akshaya Tritiya, even at that time a lamp keeps burning in the temple, this lamp has a great importance to its philosophy. It is believed that the deity keeps this lamp lit inside a closed door for 6 months.

मंदिर कब खुलता है?

बदरीनाथ क्षेत्र के उर्गम घाटी में स्थित श्री वंशी नारायण मंदिर साल के 364 दिन बंद रहता है और राखी के त्योहार पर ही इस मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोले जाते हैं। इस मंदिर के कपाट रक्षाबंधन के दिन सुबह से ही दर्शन के लिए खुल जाएंगे। इस मंदिर में भगवान की पूजा-अर्चना शाम को सूरज ढलने से पहले तक की जाती है।

When does the temple open?

Sri Vanshi Narayan Temple, located in the Urgam valley of Badrinath region, is closed for 364 days a year and the doors of the temple are opened to devotees on the festival of Rakhi. The doors of this temple will open for darshan on the day of Rakshabandhan. In this temple, the Lord is worshiped before the sun sets in the evening.

मंदिर एक दिन खुलने के पीछे प्रचलित कथा

  • मनुष्यों को इस मंदिर में एक दिन पूजा करने का अधिकार देने के पीछे भी पौराणिक कथा है। इस कथा के अनुसार एक बार राजा बलि ने भगवान विष्णु से आग्रह किया कि वह उनके द्वारपाल बने। भगवान विष्णु ने राजा बलि के इस आग्रह को स्वीकार कर लिया और वह राजा बलि के साथ पाताल लोक चले गए।
  • भगवान विष्णु के कई दिनों तक दर्शन न होने कारण माता लक्ष्मी अत्यंत चिंतित हो गईं और नारद मुनि के पास गईं। नारद मुनि से माता लक्ष्मी से पूछा कि भगवान विष्णु कहां पर है? जिसके बाद नारद मुनि ने माता लक्ष्मी को बताया कि वह पाताल लोक में हैं और राजा बलि के द्वारपाल बने रहे।

  • नारद मुनि ने माता लक्ष्मी से कहा कि विष्णु भगवान को राजा बलि से वापस पाने के लिए आप आप श्रावण मास की पूर्णिमा को पाताल लोक में जाएं और राजा बलि की कलाई पर रक्षासूत्र बांध दें। रक्षासूत्र बांधने के बाद राजा बलि से वापस नारायण को वापस मांग लें।

  • माता लक्ष्मी को पाताल लोक का रास्ता नहीं पता था, इसलिए नारदमुनि लक्ष्मी के आग्रह पर उनके साथ पाताल लोक चले गए। जिसके बाद नारद मुनि की अनुपस्थिति में कलगोठ गांव के पुजारी ने वंशी नारायण भगवान की पूजा की तब से ही यह परंपरा चली आ रही है।
Legend behind the temple opening one day
  • There is also a legend behind giving humans the right to worship in this temple one day. According to this legend, King Bali once requested Lord Vishnu to be his gatekeeper. Lord Vishnu accepted this request of King Bali and went to Hades with King Bali.
  •  Mata Lakshmi became extremely worried and went to Narada Muni due to Lord Vishnu not having a vision for several days. Narada Muni asked Mata Lakshmi, where is Lord Vishnu? After which Narada Muni told Mata Lakshmi that he is in Hades and remained the gatekeeper of King Bali.
  •  Narada Muni told Mata Lakshmi that in order to get Vishnu God back from King Bali, you should go to Patal Lok on the full moon day of Shravan month and tie a raksasutra on the wrist of King Bali. After tying Rakshasutra, ask King Bali to return Narayan back.
  •  Mata Lakshmi did not know the path of Hades, so Naradamuni went to Hades with her at the insistence of Lakshmi. After this, in the absence of Narada Muni, the priest of Kalgoth village worshiped Vanshi Narayan God, this tradition has been going on since then.

निर्माण

नर-नारायण पर्वत के मध्य में विराजमान बदरीशपुरी को भगवान विष्णु का धाम माना गया है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि 'बहुनि शंति तीर्थानी दिव्य भूमि रसातले, बद्री सदृश्य तीर्थं न भूतो न भविष्यति:' अर्थात् स्वर्ग और धरती पर असंख्य तीर्थ हैं, लेकिन बदरीनाथ सरीखा तीर्थ न कोई था, न है और न होगा ही। गंगाजी ने जब स्वर्ग से धरती के लिए प्रस्थान किया तो उसका वेग इतना तेज़ था कि संपूर्ण मानवता खतरे में पड़ जाती। इसलिए गंगाजी बारह पवित्र धाराओं में बंट गई। इन्हीं में एक है अलकनंदा, जिसके तट पर बदरीनाथ धाम स्थित है। समुद्रतल से 3133 मीटर (10276 फीट) की ऊंचाई पर चमोली जिले में स्थित इस मंदिर का निर्माण आठवीं सदी में आद्य गुरु शंकराचार्य ने करवाया था।

Construction

Badrishapuri, sitting in the middle of the Nar-Narayan mountain, is considered to be the abode of Lord Vishnu. It is mentioned in the scriptures that 'Bahuni Shanti Tirthani is the divine land, Rastale, Badri Sadhuch Tirtha nor Bhooto Bhavishti:' That means there are innumerable pilgrimages in heaven and on earth, but there was no, nor will there be a pilgrimage like Badrinath. When Gangaji departed from heaven to earth, his velocity was so fast that the whole of humanity would be in danger. Hence Ganga was divided into twelve holy streams. One of them is Alaknanda, on whose banks Badrinath Dham is situated. Situated in the Chamoli district at an elevation of 3133 meters (10276ft) above sea level, this temple was built by Adya Guru Shankaracharya in the eighth century.

बदरीनाथ यात्रा मार्ग

बदरीनाथ धाम की यात्रा ऋषिकेश से शुरू होती है। यात्री को इस मार्ग पर सर्वप्रथम पंच प्रयागों में श्रेष्ठ देवप्रयाग और यहां स्थित पौराणिक एवं ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर के दर्शन होते हैं। यहां से आगे यात्री श्रीनगर में कमलेश्र्वर महादेव, कलियासौड़ में सिद्धपीठ धारी देवी, रुद्रप्रयाग में अलकनंदा व मंदाकिनी नदी के संगम, कर्णप्रयाग में अलकनंदा व पिंडर नदी के संगम, नंदप्रयाग में अलकनंदा व नंदाकिनी नदी के संगम, जोशीमठ में भगवान नृसिंह बदरी, शंकराचार्य व त्रिकुटाचार्य की गुफा, विष्णुप्रयाग में अलकनंदा व धौली गंगा के संगम और पांडुकेश्र्वर में योग-ध्यान बदरी व कुबेरजी के दर्शन कर सकते हैं। बदरीनाथ धाम से तीन किमी. आगे देश का अंतिम गांव माणा पड़ता है। इसके आसपास यात्री व्यास गुफा, गणेश गुफा, सरस्वती मंदिर, भीम पुल, वसुधारा आदि के दर्शन कर सकते हैं।

अलकनंदा नदी

Badrinath Travel Route

The journey to Badrinath Dham starts from Rishikesh. On this route, the traveler first sees the best Devprayag in Panch Prayag and the mythological and historical Raghunath Temple located here. From here onwards, travelers Kamleshwar Mahadev in Srinagar, Siddhpeeth Dhari Devi in ​​Kaliyasaud, confluence of Alaknanda and Mandakini river in Rudraprayag, confluence of Alaknanda and Pinder river in Karnaprayag, confluence of Alaknanda and Nandakini river in Nandprayag, Lord Narasimha Badri and Shankara in Joshimath One can visit the cave of Trikutacharya, the confluence of the Alaknanda and Dhauli Ganga in Vishnuprayag and Yoga-Meditation Badri and Kuberaji at Pandukeshwar. Three km from Badrinath Dham. Further, the last village of the country falls Mana. Travelers can visit Vyas cave, Ganesh cave, Saraswati temple, Bhima bridge, Vasudhara, etc. around it.

दार्शनिक स्थल

समय की पर्याप्त उपलब्धता होने पर आप आदि बदरी (कर्णप्रयाग), भविष्य बदरी (सुभाई गांव जोशीमठ), ध्यान बदरी (उर्गम घाटी), वृद्ध बदरी (अणीमठ-जोशीमठ), मध्यमेश्र्वर (रुद्रप्रयाग), तुंगनाथ (रुद्रप्रयाग), रुद्रनाथ (चमोली), कल्पेश्र्वर (चमोली), पंचगद्दी स्थल ओंकारेश्र्वर मंदिर (ऊखीमठ) जैसे पौराणिक तीथरें के दर्शन भी कर सकते हैं। हालांकि, इनमें से ज्यादातर तीर्थ उच्च हिमालयी क्षेत्र में होने के कारण अति दुर्गम हैं। 

Philosophical site

You have Adi Badri (Karanprayag), Bhavishya Badri (Subhai village Joshimath), Dhyan Badri (Urgam Valley), Vridha Badri (Animath-Joshimath), Madhyameshwar (Rudraprayag), Tungnath (Rudraprayag), Rudranath (Chamoli) with adequate availability of time. , Kalpeshwar (Chamoli), Panchgaddi site Omkareshwar Temple (Ukhimath) can also be visited by mythological arrows. However, most of these shrines are inaccessible due to being in the higher Himalayan region.




Wednesday, January 13, 2021

Konark Sun Temple

परिचय

कोणार्क सूर्य मन्दिर भारत में उड़ीसा राज्य में जगन्नाथ पुरी से 35 किमी उत्तर-पूर्व में कोणार्क नामक शहर में प्रतिष्ठित है। यह भारतवर्ष के चुनिन्दा सूर्य मन्दिरों में से एक है। सन् 1949 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है। इस मन्दिर की भावनाओ को यंहा के पत्थरों पर किये गए उत्कृष्ट नकासी ही बता देता है।



Introduction

Konark Sun Temple is reputed in the city of Konark, 35 km northeast of Jagannath Puri in the state of Orissa in India. It is one of the few Sun temples of India. It was recognized by UNESCO as a World Heritage Site in 1949. This temple tells the feelings of the excellent Nakasi done on the stones here.

इतिहास

ऐसा माना जाता है कि ये मंदिर पूर्वी गंगा साम्राज्य के महाराजा नरसिंहदेव ने 1250 CE में बनवाया था। यह मंदिर बहुत बडे रथ के आकार में बना हुआ है जिसमें कीमती धातुओं के पहिये, पिल्लर और दीवारे बनी हुई हैं। इस मंदिर की कल्पना सूर्य के रथ के रूप में की गई है।


History

It is believed that this temple was built by Maharaja Narasimhadeva of the Eastern Ganga Empire in 1250 CE. The temple is built in the shape of a very large chariot with wheels of precious metals, pillars and walls. This temple has been conceived as the chariot of the sun

मंदिर के बारे में आश्चर्जनक बातें (amazing facts about Temple)

1. मंदिर का चुंबक (Temple Magnet)

इस मंदिर का एक और प्रमुख आकर्षण यहां मौजूद चुम्बक है। यहां मौजूद चुंबक पर भी कई रहस्य और किवदंतियां हैं । कई कथाओं के अनुसार, सूर्य मंदिर के शिखर पर एक चुम्बक पत्थर लगा है। इसके प्रभाव से, कोणार्क के समुद्र से गुजरने वाले सागरपोत, इस ओर खिंचे चले आते है, जिससे उन्हें भारी क्षति हो जाती है। अन्य कथा अनुसार, इस पत्थर के कारण पोतों के चुम्बकीय दिशा निरुपण यंत्र सही दिशा नहीं बताते।इस कारण अपने पोतों को बचाने हेतु, मुस्लिम नाविक इस पत्थर को निकाल ले गये। यह पत्थर एक केन्द्रीय शिला का कार्य कर रहा था, जिससे मंदिर की दीवारों के सभी पत्थर संतुलन में थे। इसके हटने के कारण, मंदिर की दीवारों का संतुलन खो गया, और परिणामतः वे गिर पड़ीं। परन्तु इस घटना का कोई एतिहासिक विवरण नहीं मिलता, ना ही ऐसे किसी चुम्बकीय केन्द्रीय पत्थर के अस्तित्व का कोई ब्यौरा उपलब्ध है।



Another major attraction of this temple is the magnet present here. There are also many mysteries and legends on the magnet present here. According to several legends, a magnet is placed on the summit of the Sun Temple. As a result of this, the ocean vessels passing through the sea of ​​Konark are drawn towards this, causing heavy damage to them. According to another legend, because of this stone the magnetic direction design of the ships does not show the right direction. Due to this, Muslim sailors took out this stone to save their ships. This stone was acting as a central stone, whereby all the stones in the temple walls were in balance. Due to its removal, the balance of the temple walls was lost, and as a result they collapsed. But there is no historical description of this incident, nor is there any description of the existence of any such magnetic central stone.

2.कामुक दृश्य (Erotic scene)

कोणार्क का सूर्य मंदिर कामुकता को एक नयी परिभाषा देता है। यहां बनी मूर्तियों में बड़ी ही खूबसूरती के साथ काम और सेक्स को दर्शाया गया है। यहां बनी मूर्तियां पूर्ण रूप से यौन सुख का आनंद लेती दिखाई गयी हैं। मजे की बात ये है कि इन मूर्तियों को मंदिर के बाहर तक ही सीमित किया गया है ऐसा करने के पीछे कारण ये बताया जाता है कि जब भी कोई मंदिर के गर्भ गृह में जाए तो वो सभी प्रकार के सांसारिक सुखों और मोह माया को मंदिर के बाहर ही छोड़ के आये।

The Sun Temple of Konark gives a new definition to sexuality. The sculptures made here depict work and sex with great beauty. The sculptures here are shown to enjoy sexual pleasure to the fullest. The interesting thing is that these idols are confined outside the temple, the reason behind doing this is that whenever someone goes to the sanctum sanctorum of the temple, then they will be able to give all kinds of worldly pleasures and fascination to the temple. Came out only.

3.पौराणिक महत्व (Mythological significance)

यह मंदिर सूर्यदेव (अर्क) को समर्पित था, जिन्हें स्थानीय लोग बिरंचि-नारायण कहते थे। पुराणानुसार, श्रीकृष्ण के पुत्र साम्ब को श्राप से कोढ़ रोग हो गया था। उन्हें ऋषि कटक ने इस श्राप से बचने के लिये सूरज भगवान की पूजा करने की सलाह दी। साम्ब ने मित्रवन में चंद्रभागा नदी के सागर संगम पर कोणार्क में, बारह वर्ष तपस्या की, और सूर्य देव को प्रसन्न किया। सूर्यदेव, जो सभी रोगों के नाशक थे, ने इसका रोग भी अन्त किया।

The temple was dedicated to Suryadev (Ark), who the locals called Biranchi-Narayan. According to the Puranas, Lord Krishna's son Samb had developed leprosy from the curse. He was advised by the sage Cuttack to worship the sun god to avoid this curse. Samb did penance for twelve years at Konark, at the ocean confluence of the Chandrabhaga river at Mitravan, and pleased the sun god. Suryadev, who was the destroyer of all diseases, also ended its disease.

4. क्यों नहीं होती मंदिर की पूजा? (Why is the temple not worshiped?)

कहा जाता है की मंदिर के प्रमुख वास्तुकार के पुत्र ने राजा द्वारा उसके पिता के बाद इस निर्माणाधीन मंदिर के अंदर ही आत्महत्या कर ली जिससे बाद से इस मंदिर में पूजा या किसी भी धार्मिक अनुष्ठान पर पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा दिया गया।

It is said that the son of the chief architect of the temple committed suicide by the king after his father inside this under construction temple, which has since banned the worship or any religious ritual in this temple.

5. आज भी करती हैं नर्तिकाय नृत्य (Even today, dancers dance)

कोणार्क के बारे में एक मिथक और भी है कि यहां आज भी नर्तकियों की आत्माएं आती हैं। अगर कोणार्क के पुराने लोगों की माने तो आज भी यहां आपको शाम में उन नर्तकियों के पायलों की झंकार सुनाई देगी जो कभी यहाँ यहां राजा के दरबार में नृत्य करती थी।

There is another myth about Konark that the spirits of dancers still come here today. If old people of Konark were to be believed, even today, in the evening you will hear the chimes of those pilots who once danced here in the court of the king.

6. विलुप्त होती नदी के मिले साक्ष्य (Evidence of extinct river)

वक्त के साथ तमाम भौगोलिक और प्राकृतिक घटनाओं के चलते चंद्रभागा नदी विलुप्त हो गई थी। वर्ष 2016 में वैज्ञानिकों ने इस मंदिर क्षेत्र से इस नदी के साक्ष्य खोज निकाले। वैज्ञानिकों ने विभिन्न उपग्रहों की तस्वीरों का इस्तेमाल किया और फिर नदी की धारा की पहचान करने और उसका मार्ग पता लगाने के लिए अन्य क्षेत्रीय आंकड़ों का इस्तेमाल किया।

Over time, the Chandrabhaga River became extinct due to all geographical and natural phenomena. In the year 2016, scientists discovered evidence of this river from this temple area. The scientists used photographs of various satellites and then used other regional data to identify and trace the stream of the river.

आखिर क्यों ध्वस्त हुआ ये मंदिर (Why this temple was destroyed after all)

वास्तु दोष

कहा जाता है कि यह मन्दिर अपने वास्तु दोषों के कारण मात्र 400 वर्षों में क्षीण हो गया था। जिसे वास्तु कला व नियमों के विरुद्ध कहा-सुना जाता है। इसी कारणवश यह अपनी समयावधि से पहले ही ऋगवेदकाल एवम् पाषाण कला का अनुपम उदाहरण होते हुए भी धराशायी हो गया।इस सूर्य-मन्दिर के मुख्य वास्तु दोष हैं:-

  • मंदिर का निर्माण रथ आकृति होने से पूर्व, दिशा, एवं आग्नेय एवं ईशान कोण खंडित हो गए।
  • पूर्व से देखने पर पता लगता है, कि ईशान एवं आग्नेय कोणों को काटकर यह वायव्य एवं नैऋर्त्य कोणों की ओर बढ़ गया है।
  • प्रधान मंदिर के पूर्वी द्वार के सामने नृत्यशाला है, जिससे पूर्वी द्वार अवरोधित होने के कारण अनुपयोगी सिद्ध होता है।
  • नैऋर्त्य कोण में छायादेवी के मंदिर की नींव प्रधानालय से अपेक्षाकृत नीची है। उससे नैऋर्त्य भाग में मायादेवी का मंदिर और नीचा है।
  • आग्नेय क्षेत्र में विशाल कुआं स्थित है।
  • दक्षिण एवं पूर्व दिशाओं में विशाल द्वार हैं, जिस कारण मंदिर का वैभव एवं ख्याति क्षीण हो गई हैं।

Vastu faults
It is said that this temple was dilapidated in only 400 years due to its architectural defects. Which is heard and heard against Vastu art and rules. For this reason, even before its time period, it collapsed despite being a unique example of Rig Veda period and stone art. The main architectural defects of this Sun-temple are: -
  • The construction of the temple before the chariot shape, the direction, and the igneous and northerly angles were fragmented.
  •  Looking at it from the east, it is found that by cutting the northerly and igneous angles, it has moved towards the western and western angles.
  •  There is a dance hall in front of the eastern gate of the Pradhan Mandir, which proves unusable due to the eastern gate being blocked.
  •  The foundation of the temple of Chhayadevi at the Nairitya angle is comparatively lower than the Principal. In the lower part of it is Mayadevi's temple and lower.
  •  A huge well is located in the Igneous region.
  •  There are huge gates in the south and east directions, due to which the glory and fame of the temple has diminished.

चुम्बकीय पत्थर

कई कथाओं के अनुसार, सूर्य मन्दिर के शिखर पर एक चुम्बकीय पत्थर लगा है। इसके प्रभाव से, कोणार्क के समुद्र से गुजरने वाले सागरपोत, इस ओर खिंचे चले आते हैं, जिससे उन्हें भारी क्षति हो जाती है। अन्य कथा अनुसार, इस पत्थर के कारण पोतों के चुम्बकीय दिशा निरूपण यंत्र सही दिशा नहीं बताते। इस कारण अपने पोतों को बचाने हेतु, मुस्लिम नाविक इस पत्थर को निकाल ले गये। यह पत्थर एक केन्द्रीय शिला का कार्य कर रहा था, जिससे मंदिर की दीवारों के सभी पत्थर संतुलन में थे। इसके हटने के कारण, मंदिर की दीवारों का संतुलन खो गया और परिणामतः वे गिर पड़ीं। परन्तु इस घटना का कोई ऐतिहासिक विवरण नहीं मिलता, ना ही ऐसे किसी चुम्बकीय केन्द्रीय पत्थर के अस्तित्व का कोई ब्यौरा उपलब्ध है।

Magnetic stone

 According to many legends, a magnetic stone is placed on the summit of the Sun Temple.  As a result of this, the ocean ships passing through the sea of ​​Konark are drawn towards it, causing them heavy damage.  According to another legend, due to this stone, magnetic direction formulation devices of ships do not tell the right direction.  For this reason, Muslim sailors took out this stone to save their grandsons.  This stone was acting as a central stone, whereby all the stones in the temple walls were in balance.  Due to its removal, the balance of the temple walls was lost and as a result they collapsed.  But no historical details of this incident are available, nor is there any description of the existence of any such magnetic central stone.

कालापहाड़ (Black mountain)

कोणार्क मंदिर के गिरने से संबंधी एक अति महत्वपूर्ण सिद्धांत, कालापहाड से जुड़ा है। उड़ीसा के इतिहास के अनुसार कालापहाड़ ने सन 1508 में यहां आक्रमण किया, और कोणार्क मंदिर समेत उड़ीसा के कई हिन्दू मंदिर ध्वस्त कर दिये। 

A very important theory related to the fall of Konark temple is associated with Kalapahad. According to the history of Orissa, Kalapahad invaded here in 1508, and destroyed many Hindu temples of Orissa including Konark temple.

पुरी के जगन्नाथ मंदिर के मदन पंजी बताते हैं, कि कैसे कालापहाड़ ने उड़ीसा पर हमला किया। कोणार्क मंदिर सहित उसने अधिकांश हिन्दू मंदिरों की प्रतिमाएं भी ध्वस्त करीं। 

Madan Panji of the Jagannath temple in Puri tells how Kalapahar attacked Orissa. He also demolished the statues of most Hindu temples, including the Konark temple.

हालांकि कोणार्क मंदिर की 20-25 फीट मोटी दीवारों को तोड़ना असम्भव था, उसने किसी प्रकार से दधिनौति (मेहराब की शिला) को हिलाने का प्रयोजन कर लिया, जो कि इस मंदिर के गिरने का कारण बना। 

Although it was impossible to break the 20-25 feet thick walls of the Konark temple, he somehow managed to move the Dadhinauti (arch stone), which caused the temple to collapse.

दधिनौति के हटने के कारण ही मंदिर धीरे-धीरे गिरने लगा, और मंदिर की छत से भारी पत्थर गिरने से, मूकशाला की छत भी ध्वस्त हो गयी। उसने यहां की अधिकांश मूर्तियां और कोणार्क के अन्य कई मंदिर भी ध्वस्त कर दिये।

Due to the removal of Dadhinauti, the temple began to fall slowly, and the roof of the silent hall was also demolished due to heavy stone falling from the roof of the temple. He also demolished most of the sculptures here and many other temples in Konark.



Tuesday, January 12, 2021

Ramoji Film City

 रामोजी फिल्म सिटी भारत में उन लोगों के लिए बेहतरीन ट्रैवल डेस्टिनेशन है जो कुछ अलग हटकर ट्रैवल करना चाहते हैं। बीच, पहाड़ और नैचुरल ब्यूटी से अलग यहां आपको मेन मेड ब्यूटी देखने को मिलेगी। रामोजी फिल्म सिटी में आप एक ही स्थान पर पूरी दुनिया घूम सकते हैं क्योंकि यहां कई स्थानों की हूबहू नकल की गई है। कई फिल्मों के सेट आज भी यहां लगे हुए हैं। यहां बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी के मनोरंजन का पूरा इंतजाम है। 



Ramoji Film City is a great travel destination in India for those who want to travel a bit different. Unlike the beach, mountain and natural beauty, you will get to see the main beauty here. In Ramoji Film City, you can roam the whole world in one place because many places have been copied right here. Many film sets are still employed here. There is complete entertainment for everyone from children to elders.

परिचय

रामोजी फिल्म सिटी भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित एक मनोरंजक स्थल है। यह आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद से लगभग 25 किलो मीटर दूर नल्गोंडा मार्ग पर स्थित है। यह फिल्म सिटी लगभग 2000 एकड़ भूमि में फैले आकर्षण की एक विस्तृत श्रृंखला है। इसे भारत में सबसे अच्छा विषयगत अवकाश गंतव्य के रूप में जाना जाता है। 

Introduction

Ramoji Film City is a recreational destination located in the state of Andhra Pradesh, India. It is located on the Nalgonda road, about 25 km from Hyderabad, the capital of Andhra Pradesh. The film city is a wide range of attractions spread over nearly 2000 acres of land. It is known as the best thematic holiday destination in India.

इतिहास

दक्षिण के मशहूर फिल्म निर्माता और मीडिया बैरॉन श्री रामोजी राव ने सन् 1996 में रामोजी फिल्म नगर की स्थापना की। रामोजी ग्रुप की ईकाई उषा किरण मूवीज लिमिटेड हिंदी, मलयालम, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मराठी और बांग्ला में अस्सी से भी ज्यादा फिल्में बना चुकी है। उषा किरण मूवीज लिमिटेड ने भारतीय फिल्माकारों की फिल्मी कल्पना के मुताबिक इस फिल्म सिटी का निर्माण किया।



History

Ramoji Rao Nagar, the famous film producer and media baron of the South, founded Ramoji Film Nagar in 1996. Usha Kiran Movies Limited, a unit of Ramoji Group, has produced more than eighty films in Hindi, Malayalam, Telugu, Tamil, Kannada, Marathi and Bangla. Usha Kiran Movies Limited produced this film city as per the film imagery of Indian filmmakers.

फिल्म सिटी के बारे में कुछ रोचक तथ्य (Some interesting facts about Film City)

1.फिल्म सिटी के संस्थापक रामोजी राव को 2016 में भारत के दूसरे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

Film City founder Ramoji Rao was awarded the Padma Vibhushan, India's second highest civilian award, in 2016.

2.फिल्म सिटी ने पूरी दुनिया में सबसे बड़े स्टूडियो कॉम्प्लेक्स के रूप में जाना जाता है इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स द्वारा दुनिया के सबसे बड़े स्टूडियो परिसर के रूप में प्रमाणित किया गया है।



Film City, known as the largest studio complex in the whole world, has been certified as the world's largest studio complex by Guinness World Records.

3.अनुमान है कि फिल्म सिटी में 2500 से अधिक फिल्मों की शूटिंग की गई है।यहां शूट की गई कुछ ब्लॉकबस्टर्स में चेन्नई एक्सप्रेस, क्रिश, बाहुबली और डर्टी पिक्चर शामिल हैं।



It is estimated that more than 2500 films have been shot in Film City. Some of the blockbusters shot here include Chennai Express, Krrish, Bahubali and Dirty Pictures.

4.फिल्म की आधारभूत संरचना में , मैक-अप, सेट-निर्माण, कॉस्ट्यूम डिजाइन लोकेशन, तैयार साज-सज्जा, कैमरा, फिल्म निर्माण उपकरण, ऑडियो प्रोडक्शन, डिजीटल पोस्ट प्रोडक्शन और फिल्म प्रोसेसिंग की व्यवस्था भी शामिल हैं।



5.The film infrastructure also includes set-up, set-up, costume design location, ready-made furnishing, camera, film production equipment, audio production, digital post production and film processing.

रामोजी फिल्म सिटी में खास बात यह है की यहाँ एक साथ बीस विदेशी फिल्म और चालीस देशी फिल्में बनाई जा सकती हैं। और यहाँ न सिर्फ देशी, बल्कि विदेशी फिल्म निर्माता भी आते हैं।

6.The special thing in Ramoji Film City is that twenty foreign films and forty country films can be made simultaneously. And here comes not only native, but also foreign filmmakers.

बॉलीवुड के साथ हॉलीवुड भी प्रभावित: रामोजी फिल्मसिटी ने बॉलीवुड के साथ हॉलीवुड के कई निमार्ताओं को भी प्रभावित किया। इसमें 500 से ज्यादा सेट लोकेशन हैं। सैंकड़ों उद्यान, पचास के करीब स्टूडियो फ्लोर, अधिकृत सेट्स, डिजिटल फिल्म निर्माण की सुविधाएं, आउटडोर लोकेशन, उच्च-तकनीक के लैस प्रयोगशालाएं, तकनीकी सहायता सभी मौजूद है। फिल्म की आधारभूत संरचना में कॉस्ट्यूम, लोकेशन, मैकअप, सेट-निर्माण, कैमरा, उपकरण, ऑडियो प्रोडक्शन, डिजीटल पोस्ट प्रोडक्शन और फिल्म प्रोसेसिंग की व्यवस्था के बीच यहां एक साथ बीस विदेशी फिल्म और चालीस देशी फिल्में बनाई जा सकती हैं।



Hollywood too impressed with Bollywood: Ramoji Filmcity also influenced many Hollywood producers with Bollywood. It has more than 500 set locations. Hundreds of gardens, close to fifty studio floors, authorized sets, digital film production facilities, outdoor locations, high-tech laboratories, technical support are all available. Twenty foreign films and forty indigenous films can be made simultaneously in the film infrastructure, between costume, location, mockup, set-making, camera, equipment, audio production, digital post production and film processing.

7.फिल्म सिटी का एक आकर्षण बर्ड पार्क भी है, जहां दुनिया भर से लाए गए विभिन्न प्रकार के पक्षियों का घरौंदा बना हुआ है। ऐसे पक्षियों मे राजहंस से लेकर विभिन्न देशों से लाए गए पक्षी शामिल हैं। इन सभी पक्षियों की देखभाल करने के लिए डॉक्टर और उनकी टीमें यहां तैनात होती हैं।



One of the attractions of the Film City is the Bird Park, which houses a wide variety of birds brought from all over the world. Such birds include birds brought from flamingos to different countries. Doctors and their teams are stationed here to take care of all these birds.

8.अम्ब्रेला गार्डन में तो फूलों से बनी छतरियों की कतारें हैं। इन पर लाल और सफेद रंग के फूलों की घाटी सी फैली है। एनीमल गार्डन में बहुत से वन्य प्राणियों की हरी-भरी आकृतियां खड़ी हैं। ऐसा लगता है जैसे किसी अभ्यारण्य में पहुंच गए हों।



There are rows of umbrellas made of flowers in the Umbrella Garden. These are covered with a valley of red and white flowers. In the Animal Garden, green figures of many wildlife are standing. It seems like you have reached a sanctuary.


9. एक जगह चाय बागान के दृश्य को साकार किया गया है, जहां दर्शकों को आसाम या दार्जिलिंग में होने का आभास होता है। जापानी गार्डन में सैलानियों को ऐसा लगता है जैसे वे जापान ही पहुंच गए हो। इसी तरह डेजर्ट गार्डन और कोम्बो गार्डन की जीवंत दृश्यावली भी नवविवाहित युगलों का मन मोह लेती है।



The scene of the tea garden is embodied in one place, where the viewer has the feeling of being in Assam or Darjeeling. In the Japanese garden, tourists feel as if they have reached Japan. Similarly, the vibrant scenery of Desert Garden and Combo Garden also captivates the newly wedded couples.


10. इन्हीं सड़कों के बीच स्थित एंजेल्स फाउन्टेन भी बेहद आकर्षक है। रोमन कला के इस सुंदर नमूने को देख प्रेमी युगलों के हृदय में एक अनोखा स्पंदन होता है। वहीं पास ही पांच भव्य प्रतिमाओं के रूप में पश्चिमी नारी के सौंदर्य की उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है। एक ही वस्त्र से कोमल तन को ढांपने का असफल प्रयास है।



The Angels Fountain situated between these roads is also very attractive. Seeing this beautiful specimen of Roman art, there is a unique vibrance in the heart of loving couples. At the same time, there are five magnificent statues as an excellent expression of the beauty of Western women. There is an unsuccessful attempt to cover the soft body with a single garment.

11.पर्यटकों को उस समय सबसे ज्यादा ताज्जुब होता है जब वह स्वयं को लंदन की प्रिंसेस स्ट्रीट में खड़ा पाते हैं। खूबसूरत आधुनिक विला और बंगलों के बीच पहुंचकर किसी पश्चिमी देश के नगर में खड़े होने का भ्रम होता है। यहां बने ग्रामीण परिवेश, व्यस्त बाजार, हाइवे के ढाबे, सेंट्रल जेल आदि के सेट भी अत्यंत स्वाभाविक से दिखते हैं। सब कुछ बनावटी होते हुए भी यह सब पर्यटकों को इतना भाता है कि वे प्राय: हर सेट के सामने खड़े होकर फोटो अवश्य खिंचवाते हैं।





Tourists are most surprised when they find themselves standing in Princes Street, London. There is the illusion of standing in a city of a western country, reaching between beautiful modern villas and bungalows. The rural surroundings, busy markets, highway dhabas, central jail etc. are also very natural. Despite everything being artificial, it is so pleasing to the tourists that they often take photographs in front of every set.

पर्यटन (Tourism)

फिल्म सिटी में हर साल करीब दस लाख पर्यटक आते हैं। फिल्म स्टूडियों इन पर्यटकों के लिए खास आकर्षण होते हैं। इससे फिल्म सिटी को अरबों की आमदनी होती है। पर्यटकों के लिए विशेष प्रकार का खुला कोच होता है। फिल्म सिटी के प्रवेशद्वार पर एक तीन-सितारा होटल तारा और पंच सितारा होटल सितारा फिल्म स्टूडियो की सुंदरता में चार चांद लगाती है। ये होटल पर्यटकों और फिल्म निर्माण से जुड़े लोगों को आरामदेह ठहराव देता है। होटल के एक ओर हवा महल है जहां से फिल्म सिटी का विहंगम स्वरूप देखा जा सकता है। फिल्म सिटी नवविवाहित जोड़ों के लिए हनीमून पैकेज भी देती है। जापानी गार्डन, ईटीवी प्लेनेट, ताल, कृत्रिम जलप्रपात, हवाई अड्डा, अस्पताल, रेलवे स्टेशन, चर्च, मस्जिद, मंदिर, शॉपिंग कॉपलेक्स, खूबसूरत इमारतें, देहाती दुनिया, स्लम, राजपथ आदि इस फिल्म सिटी के दर्शनीय स्थल हैं। फिल्म सिटी के कोच पर पर्यटन गाइड भी होता है। यहां के कुछ सेट प्राचीन राजा-महाराजाओं के किलों की याद दिलाते हैं तो कुछ देश में बॉलीवुड का दर्शन कराते हैं। 



The film city receives about one million tourists every year. Film studios are a special attraction for these tourists. This earns billions of dollars to Film City. There is a special type of open coach for tourists. Tara, a three-star hotel at the entrance of the Film City, and the five-star Hotel Sitara add to the beauty of the film studio. This hotel provides comfortable accommodation to tourists and people involved in film production. On one side of the hotel is Hawa Mahal from where the bird's eye view of Film City can be seen. Film City also offers honeymoon packages for newly married couples. Japanese Gardens, ETV Planet, Pools, Artificial Falls, Airports, Hospitals, Railway Stations, Churches, Mosques, Temples, Shopping Coplexes, Beautiful Buildings, Pastoral Worlds, Slums, Rajpath etc. are the sights of this film city. The film city coach also has a tourism guide. Some of the sets here remind us of the forts of the ancient kings and emperors, while some make Bollywood visible in the country.

Sunday, January 10, 2021

The Holy Land of India - Varanasi

परिचय

वाराणसी  को बनारस या काशी भी कहा जाता है। वाराणसी संसार के प्राचीनतम बसे शहरों में से एक और भारत का सबसे प्राचीनतम बसा शहर है। भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में यह सबसे प्रसिद्ध नगर है। वाराणसी को प्राय:मंदिरों का शहर,भारत की धार्मिक राजधानी,भगवान शिव की नगरी आदि नामों से संबोधित किया जाता है।

Introduction

Varanasi is also known as Banaras or Kashi. Varanasi is one of the oldest inhabited cities in the world and the oldest inhabited city in India. It is the most famous city in the Indian state of Uttar Pradesh. Varanasi is often referred to as the city of temples, the religious capital of India, the city of Lord Shiva, etc.


इतिहास

कहा जाता हैवाराणसी का इतिहास, इतिहास के पन्नौं से भी पुराना है।वाराणसी का मूल नगर काशी था।पौराणिक कथाओं के अनुसार, काशी नगर की स्थापना हिंदू भगवान शिव ने लगभग 5000 वर्ष पूर्व की थी। जिस कारण यह आज तक एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। कुछ लोगों का मानना है कि, यह वरुणा व अस्सी नदी के बीच बसा शहर है इसलिए इसको वाराणसी बोला जाता है।कहा जाता है कि जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म यही हुआ था। धर्म के मामले में काशी हिंदुओं की राजधानी कहा जाता है।

History

The history of Varanasi is said to be even older than the annals of history. The original city of Varanasi was Kashi. According to the Puranic stories, the city of Kashi was founded by the Hindu Lord Shiva about 5000 years ago. Due to which it is an important pilgrimage site till date. Some believe that it is a city between Varuna and Assi river, hence it is called Varanasi. It is said that Parshvanath, the 23rd Tirthankara of Jainism was born here. In terms of religion, Kashi is called the capital of Hindus.

संस्कृति एवं कला

वाराणसी संस्कृति, कला एवं साहित्य से परिपूर्ण है।इस नगर में महान विचारक हुए हैं ,जैसे कबीर,रविदास,तुलसीदास आदि।यहां के कला प्रेमियों और इतिहासवेत्ताओं में राय कृष्णदास,उनके पुत्र आनंद कृष्ण, रवि शंकर, बिस्मिल्ला खां एवं बहुत से अन्य लोगों का नाम उल्लेखित है।

Art and culture

Varanasi is full of culture, art and literature. This city has had great thinkers such as Kabir, Ravidas, Tulsidas, etc. Among art lovers and historians here are Rai Krishnadas, his sons Anand Krishna, Ravi Shankar, Bismillah Khan and many more. The name of the people is mentioned.

वाराणसी महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से एक क्यों है?

Why is Varanasi one of the important tourist destinations?

1. दशाश्वमेध घाट

वाराणसी आने वाले ज्यादातर तीर्थ यात्रियों और सैलानियों का स्वागत सबसे पहले इसी घाट के द्वारा होता है।वाराणसी के सबसे प्राचीनतम घाटों में से यह घाट काफी महत्वपूर्ण है। 


Dashashwamedh Ghat

Most of the pilgrims and tourists coming to Varanasi are welcomed by this ghat first. This ghat is one of the most important ghats of Varanasi.

2. काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर भगवान शिव को समर्पित सबसे प्रसिद्ध हिंदू मंदिरों में से एक है। ऐसा माना जाता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

Kashi Vishwanath temple

Kashi Vishwanath Temple is one of the most famous Hindu temples dedicated to Lord Shiva. It is believed that once visiting this temple and bathing in the holy Ganges attains salvation.

3. अस्सी घाट

अस्सी घाट पर्यटको और शोधकर्ताओं के लिए पसंदीदा स्थल है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, देवी दुर्गा ने राक्षस शुंभ-निशुंभ का वध करने के बाद यहां ही अपनी तलवार को फेंका था और कहा जाता है कि यह राक्षस बहुत भयानक था।

Assi Ghat

Assi Ghat is a favorite destination for tourists and researchers. According to a legend, Goddess Durga threw her sword here after killing the demon Shumbha-Nishumbha and it is said that this demon was very terrible.

4. नेपाली मंदिर (कथवाला मंदिर)

इस मंदिर की दिलचस्प बात यह है कि यह सीधे आपको 19 वीं सदी के काल में ले जाता है।यह वाराणसी के सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है। और इस मंदिर को कथवाला मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

Nepali Temple ( kathwala Mandir)

The interesting thing about this temple is that it takes you straight back to the 19th century. It is one of the oldest Shiva temples in Varanasi. And this temple is also known as Kathwala temple.

5. सारनाथ

सारनाथ,बौद्ध धर्म का प्रमुख तीर्थ स्थल है जो वाराणसी से लगभग 10 पूर्वोत्तर में स्थित है। कहा जाता है कि यहां भगवान बुद्ध ने अपना सबसे पहला उपदेश दिया था।जैन धर्म के अनुसार यह माना जाता है कि 11 वें तीर्थंकर श्रेयांसनाथ का जन्म यहां से थोड़ी दूर पर ही हुआ था।

Sarnath

Sarnath is a major pilgrimage center for Buddhism, located about 10 northeast of Varanasi. It is said that Lord Buddha gave his first sermon here. According to Jain religion, it is believed that the 11th Tirthankara Shreyansanath was born a little away from here.

Friday, January 8, 2021

The Taj Mahal, Agra

  ताज महल उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में स्थित है। कहा जाता है कि यह शाहजहां ने 17वीं शताब्दी में अपनी पत्नी मुमताज की याद में बनवाया था। आइए के The Taj Mahal, Agra बारे में कुछ रोचक तथ्य जानते हैं।

The Taj Mahal is located in the city of Agra in Uttar Pradesh.  It is said to have been built by Shah Jahan in the 17th century in memory of his wife Mumtaz.  Let us know some interesting facts about The Taj Mahal, Agra.


1.ताजमहल का निर्माण मुमताज (1 सितंबर 1593-17 जून 1631) की याद में किया गया है।मुमताज पर्शिया देश की राजकुमारी थी। मुमताज की मौत 1631 में 14 वीं संतान को गौहर बेगम को जन्म देते समय बुरहानपुर (मध्य प्रदेश) में समय हुई थी।

Taj Mahal is built in memory of Mumtaz (1 September 1593–17 June 1631). Mumtaz was the princess of Persia. Mumtaz died in Burhanpur (Madhya Pradesh) while giving birth to the 14th child in 1631 to Gauhar Begum.

2.हिंदुओं के अनुसार ताजमहल एक शिव मंदिर है जिस का असली नाम है"तेजो महालय"क्योंकि किसी भी मुस्लिम देश में ऐसी कोई इमारत नहीं है जिसके नाम में महल आए और महल मुस्लिम शब्द नहीं है।

According to Hindus, the Taj Mahal is a Shiva temple whose real name is "Tejo Mahalaya" because there is no such building in any Muslim country that has a mahal its name and the mahal is not a Muslim word.


3.विश्व के सात अजूबों में शामिल ताजमहल को बनाने में 22 साल लगे थे। इसे बनाने का काम 1632 में शुरू हुआ। इसे पूरा करने में लगभग 22000 मजदूरों का हाथ था।

It took 22 years to build Taj Mahal, one of the seven wonders of the world.  The construction of this started in 1632.  About 22000 laborers were involved in completing it

4.ताजमहल विश्व में सबसे ज्यादा देखा जाने वाला पर्यटन स्थल है। यहां पर प्रतिदिन लगभग 12000 लोग इसे देखने आते हैं ,जिनमें लगभग 30 % लोग विदेशी लोग होते हैं।

TajMahal is the most visited tourist destination in the world. It is visited by about 12000 people daily, of which about 30% are foreigners.

5.ताजमहल का रंग दिन में सफेद, शाम को सुनहरा और सुबह गुलाबी दिखाई देता है।ताजमहल हर बार अलग-अलग रंगों में प्रतीत होता है।

The color of the Taj Mahal appears white in the day, golden in the evening and pink in the morning. The Taj Mahal appears in different colors each time


6.विश्व के अनेक इमारतें और स्मारक ताजमहल से प्रेरित होकर बने हैं।चीन के शेनजेन शहर के पश्चिमी भाग में स्थित विंडो ऑफ द वर्ल्ड थीम पार्क में ताजमहल की प्रतिकृति बनी है।

Many of the world's buildings and monuments are inspired by the Taj Mahal. The replica of the Taj Mahal is built in the Window of the World Theme Park located in the western part of the city of Schengen, China.

Window of the world Theme park


7.बाग के मध्य में एक उच्चतम पर बने तालाब में ताजमहल का प्रतिबिंब दिखाई देता है।यह मकबरे और मुख्य द्वार के मध्य में बना है यह प्रतिबिंब इसकी सुंदरता को चार चांद लगाता है।

The reflection of the Taj Mahal is seen in a high-rise pond in the middle of the garden. It is situated in the middle of the mausoleum and the main gate, which adds to its beauty.


8.ताजमहल यमुना नदी के किनारे बना हुआ है। ताजमहल का आधार एक ऐसी लकड़ी पर बना हुआ है जिसे मजबूत बनाए रखने के लिए नमी की आवश्यकता होती है। इस नमी को पास में बहने वाली यमुना नदी ही बनाए रखती है।

The Taj Mahal is built on the banks of the Yamuna River. The base of the Taj Mahal is built on a wood that needs moisture to keep it strong. The river Yamuna maintains this moisture flowing nearby.


9.इसकी चारों मीनारें 41.6 मीटर ऊंची हैं और इन्हें बाहर की ओर हल्का सा झुकाव दिया गया है ताकि यह मीनारें भुकम्प जैसी आपदा में मकबरे पर न गिरकर बाहर की ओर गिरे।

Its four towers are 41.6 meters high and have been tilted slightly outward so that these towers do not fall on the tomb in a disaster like earthquake.


10.ताजमहल के हर नींव वाले कोने में एक एक मीनार है यह चारों मीनारें मकबरे को संतुलन देती है।

There is a tower in every foundation corner of the Taj Mahal. These four towers balance the mausoleum.



Interesting facts about Prem Mandir

नमस्ते दोस्तों, मुझे विश्व भर के मशहूर स्थानों को जानने का बहुत शौक है और मैं यह जानकारी इकट्ठी करती रहती हूं और मुझे दूसरों को बताना भी बहुत अच्छा लगता है।
 आज मैं आपको प्रेम मंदिर से जुड़े कुछ रोचक तथ्य बताऊंगी जो कि उत्तर प्रदेश में स्थित है उम्मीद करती हूं आप जब भी कभी वहां जाओ तो मेरी यह जानकारी आपके काम आए।
Hello friends, I am very fond of knowing famous places around the world and I keep collecting this information and I also love to tell others.
  Today I will tell you some interesting facts related to Prem Mandir which is located in Uttar Pradesh, I hope that whenever you go there, my information will be useful to you.







  1. प्रेम मंदिर को कृपालुजी महाराज ने बनवाया था।इस मंदिर के निर्माण में करीब सौ से डेढ़ सौ करोड़ रुपए की धनराशि खर्च हुई थी।
Prem Mandir was built by Kripaluji Maharaj. An amount of about one hundred to one hundred fifty crores was spent in the construction of this temple.




 
2.प्रेम मंदिर को बनने में करीब 11 वर्षों का समय लगा था।
It took about 11 years to build the Prem Mandir.




3.यह पूरा मंदिर सफेद पत्थरों से बना है इसे बनाने के लिए इटैलियन संगमरमर का प्रयोग किया गया है।
The entire temple is made of white stones and Italian marble has been used to make it.



4.प्रेम मंदिर का निर्माण 1000 मजदूरों ने मिलकर किया है। इसके निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश के तमाम शहरों के अलावा राजस्थान से भी कारीगर बुलाए गए थे।
The Prem Mandir has been built by 1000 workers together. Apart from all the cities of Uttar Pradesh, artisans were also called from Rajasthan for its construction.



5.प्रेम मंदिर परिसर में भगवान की लीलाओं का झांकियों के माध्यम से वर्णन किया गया है। यह झांकी अपनी खूबसूरती से लोगों का मन मोह लेती है।
The pastimes of the Lord are described through the tableaux in the Prem Mandir complex. This tableau captivates the people with its beauty.






6.प्रेम मंदिर 125 फीट ऊंचा ,122 फीट लंबा और 115 फीट चौड़ा है ।पूरे मंदिर में 94 कला मंडित स्तंभ है।
The Prem Mandir is 125 feet high, 122 feet long and 115 feet wide. The entire temple has 94 art-pillared columns.



7.मंदिर की दीवारों का निर्माण 3.25 फीट मोटी कठोर इटालियन मार्बल से किया गया है।
The walls of the temple are built of 3.25 feet thick rigid Italian marble.



8.प्रेम मंदिर की भव्यता रात में कई गुना अधिक बढ़ जाती है,वही झांकियां भी एक्शन करती हुई नजर आती हैं।पूरा परिसर जगमगा उठता है।
The grandeur of the Prem Mandir increases manifold in the night, the same tableaux are also seen in action. The entire complex shines.


.........................Thankyou................................

















The Badrinath Temple

परिचय  हिन्दुओं के चार धामों में से एक बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का निवास स्थल है। यह भारत के उत्तराखंड राज्य में अलकनंदा नदी के बाएं तट पर ...